संबोधन और संवेदना की वास्तविकता इन्सान संबोधन से संवेदना के कार्य को कर सकता है| संबोधन एक ऐसा कार्य होता है| जिसमे एक इन्सान कई दुसरे इंसानों को संबोधित करता है या कोई बात बताने की कोशिश करता है, जो कभी दुसरे इंसानों ने उसके बारे में सुना नहीं हो| संबोधन में कभी कभी इन्सान अपनी संवेदना भी व्यक्त कर देता है| संबोधन वैसे तो कई दुसरे कार्यो के लिए भी किया जाता है, जिसमे कोई इन्सान अपने या कई दुसरे इंसानों को कोई बात बताता है| संबोधन बहुत से कार्यो के लिए किया जाता है| समाज कल्याण के कार्यो के लिए एक ऐसे मंच का उपयोग किया गया हो या किया जाता है| जो किसी पद या प्रतिष्ठा से जुडा हो| लेकिन कभी-कभी संबोधन के लिए इन्सान को कई तरह के मंच पर उतरना पड़ता है| संबोधन भी कई तरह के विषय का होता है, जिसके लिए संबोधन जरुरी बन जाता है| संवेदना एक ऐसा कार्य होता है जिसमे कोई इन्सान किसी दुसरे इन्सान को अपनी भावना व्यक्त करता है| जिसमे अधिकतर इन्सान किसी दुसरे इन्सान के दुःख दर्द के लिए अपनी सहानुभूति संवेदना के जरिये व्यक्त करते है| संवेदना देना भी इन्सान के उस संस्कार को दर्शा देता है| जो उसने
राष्ट्र और राज्य की वास्तविकता राष्ट्र ही राज्य से परिपूर्ण होते है | और राज्य भी राष्ट्र से पहचाने जाते है| राष्ट्र का महत्व इन्सान के लिए उतना ही होना चाहिए, जितना की उसका जीवन| जबकि राज्य ही राष्ट्र से बनते है| राज्य और राष्ट्र के महत्व को समझने के लिए इन्सान के लिए सबसे पहले उसके राष्ट्र का महत्व जानना जरुरी हो जाता है| राष्ट्र देश है और देश से बढ़कर कुछ नहीं| जहाँ राष्ट्र की बात आती है, वहां राज्य के बारे में नहीं देखा जाता क्योकि राष्ट्र सही होगा तो राज्य भी अपने आप गतिशील होगा| राष्ट्र से हर उस इन्सान को प्यार होना चाहिए जिस राष्ट्र में उस इन्सान का जन्म हुआ है| राष्ट्र के लिए कई ऐसे इन्सान है जो अपने जीवन से भी ज्यादा महत्व अपने राष्ट्र को देते है| उनका जीवन ही अपने राष्ट्र को सशक्त शक्तिशाली और समृध्द बनाने में ही बीत गया| और आज वर्तमान में भी ऐसे इन्सान है जो अपने राष्ट्र के लिए हमेशा तट पर खड़े रहते है| राज्य राष्ट्र का एक हिस्सा होता है राज्य ही एक राष्ट्र को सशक्त, शक्तिशाली और समृध्द बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है| दुनिया में अलग अलग राष्ट्र है और अल