संबोधन और संवेदना की वास्तविकता इन्सान संबोधन से संवेदना के कार्य को कर सकता है| संबोधन एक ऐसा कार्य होता है| जिसमे एक इन्सान कई दुसरे इंसानों को संबोधित करता है या कोई बात बताने की कोशिश करता है, जो कभी दुसरे इंसानों ने उसके बारे में सुना नहीं हो| संबोधन में कभी कभी इन्सान अपनी संवेदना भी व्यक्त कर देता है| संबोधन वैसे तो कई दुसरे कार्यो के लिए भी किया जाता है, जिसमे कोई इन्सान अपने या कई दुसरे इंसानों को कोई बात बताता है| संबोधन बहुत से कार्यो के लिए किया जाता है| समाज कल्याण के कार्यो के लिए एक ऐसे मंच का उपयोग किया गया हो या किया जाता है| जो किसी पद या प्रतिष्ठा से जुडा हो| लेकिन कभी-कभी संबोधन के लिए इन्सान को कई तरह के मंच पर उतरना पड़ता है| संबोधन भी कई तरह के विषय का होता है, जिसके लिए संबोधन जरुरी बन जाता है| संवेदना एक ऐसा कार्य होता है जिसमे कोई इन्सान किसी दुसरे इन्सान को अपनी भावना व्यक्त करता है| जिसमे अधिकतर इन्सान किसी दुसरे इन्सान के दुःख दर्द के लिए अपनी सहानुभूति संवेदना के जरिये व्यक्त करते है| संवेदना देना भी इन्सान के उस संस्कार को दर्शा देता है| जो उसने
समस्या और समाधान की वास्तविकता वास्तविकता ऐसा कोई इन्सान नहीं जिसके जीवन में कोई समस्या ना हो और ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका कोई समाधान ना हो| आज दुनिया में हर वो इन्सान अपनी अपनी समस्या से जूझ रहा है और उन समस्यों के समाधान भी करता जा रहा है समस्या को पालना ही हमारे लिये सबसे खतरनाक होता है यदि किसी समस्या का सही समय पर समाधान ना किया जाये तो वो समस्या हमारे लिए दूसरी और समस्याए खड़ी कर देती है इस लिए कहते है हर समस्या का सही समय पर समाधान किया जाना चाहिए| समस्या और समाधान पर विचार कहते है जहां समस्या होती है वहा समाधान भी होता है दुनिया में बहुत सारी ऐसी समस्या है जो कई सालो से युही चलती आरही थी या है यदि हम उन समस्याओ का आसानी से समाधान कर लेते है तो ये हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होती है जीवन का हर एक दिन हमारी समस्यों से घिरा हुआ है हर इन्सान के सामने एक नयी समस्या खड़ी होती है चाहे समस्या पैसे कमाने की हो या समस्या खाने का इंतजाम करने की हो समस्या रहने की हो या समस्या कुछ करने की हो| दुनिया के हर एक इन्सान की समस्या अलग अलग किरदारों में उनके सामने खड़ी होती हैऔर वो सभी इन्सा