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Showing posts from November, 2020

Reality of Addressing and Sensation(संबोधन और संवेदना की वास्तविकता) By Neeraj Kumar

  संबोधन और संवेदना की वास्तविकता इन्सान संबोधन से संवेदना के कार्य को कर सकता है| संबोधन एक ऐसा कार्य होता है| जिसमे एक इन्सान कई दुसरे इंसानों को संबोधित करता है या कोई बात बताने की कोशिश करता है, जो कभी दुसरे इंसानों ने उसके बारे में सुना नहीं हो| संबोधन में कभी कभी इन्सान अपनी संवेदना भी व्यक्त कर देता है| संबोधन वैसे तो कई दुसरे कार्यो के लिए भी किया जाता है, जिसमे कोई इन्सान अपने या कई दुसरे इंसानों को कोई बात बताता है| संबोधन बहुत से कार्यो के लिए किया जाता है| समाज कल्याण के कार्यो के लिए एक ऐसे मंच का उपयोग किया गया हो या किया जाता है| जो किसी पद या प्रतिष्ठा से जुडा हो| लेकिन कभी-कभी संबोधन के लिए इन्सान को कई तरह के मंच पर उतरना पड़ता है| संबोधन भी कई तरह के विषय का होता है, जिसके लिए संबोधन जरुरी बन जाता है| संवेदना एक ऐसा कार्य होता है जिसमे कोई इन्सान किसी दुसरे इन्सान को अपनी भावना व्यक्त करता है| जिसमे अधिकतर इन्सान किसी दुसरे इन्सान के दुःख दर्द के लिए अपनी सहानुभूति संवेदना के जरिये व्यक्त करते है| संवेदना देना भी इन्सान के उस संस्कार को दर्शा देता है| जो उसने

Reality of Problem and solution(समस्या और समाधान की वास्तविकता)By Neeraj kumar

  समस्या और समाधान की वास्तविकता वास्तविकता ऐसा कोई इन्सान नहीं जिसके जीवन में कोई समस्या ना हो और ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका कोई समाधान ना हो| आज दुनिया में हर वो इन्सान अपनी अपनी समस्या से जूझ रहा है और उन समस्यों के समाधान भी करता जा रहा है समस्या को पालना ही हमारे लिये सबसे खतरनाक होता है यदि किसी समस्या का सही समय पर समाधान ना किया जाये तो वो समस्या हमारे लिए दूसरी और समस्याए खड़ी कर देती है इस लिए कहते है हर समस्या का सही समय पर समाधान किया जाना चाहिए| समस्या और समाधान पर विचार कहते है जहां समस्या होती है वहा समाधान भी होता है दुनिया में बहुत सारी ऐसी समस्या है जो कई सालो से युही चलती आरही थी या है यदि हम उन समस्याओ का आसानी से समाधान कर लेते है तो ये हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होती है जीवन का हर एक दिन हमारी समस्यों से घिरा हुआ है हर इन्सान के सामने एक नयी समस्या खड़ी होती है चाहे समस्या पैसे कमाने की हो या समस्या खाने का इंतजाम करने की हो समस्या रहने की हो या समस्या कुछ करने की हो| दुनिया के हर एक इन्सान की समस्या अलग अलग किरदारों में उनके सामने खड़ी होती हैऔर वो सभी इन्सा

Reality of Effort and achievement(कोशिश और उपलब्धि की वास्तविकता )By Neeraj kumar

                      कोशिश और उपलब्धि की वास्तविकता  वास्तविकता कहते है कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती नाकमियाबी को पीछे छोड़ने का दूसरा नाम ही कोशिश होती है और हमारी कोशिश ही हमारी उपलब्धि को दर्शाती है दुनिया में जितने भी काम है उनके लिए हमारी कोशिश ही होती है जो एक उपलब्धि बनकर हमारे सामने आती है जब से इंसानों ने अपने कार्यो को सुविधाजनक बनाया है ये उसकी कोशिश ही है जो आज उसकी उपलब्धि बनकर उभर रही है कोशिश और उपलब्धि पर विचार   यदि जीवन में उपलब्धियों के रास्तो पर चलना है तो अपने कार्य क्षेत्रो में कोशिशो को जरी रखना चाहिए| जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन में कोशिश ही कोशिश होती रहती है जो कोशिश सफल होती है वो उपलब्धि में बदल जाती है जैसे एक बच्चा खड़े होने की कोशिश करता है तो उसको बार बार कोशिश करनी पड़ती है लेकिन उसकी बार बार कोशिश उसकी उपलब्धि जरुर बनती है इसी तरह हमने ऐसे कई कार्य किये होंगे जिनमे हमें कई बार कोशिश करने पर उपलब्धि मिली हो| कुछ कार्य ऐसे भी होंगे जिनमे कोशिश करने पर सिर्फ सिख मिलती है और दुबारा कोशिश करने पर उपलब्धि|    कोशिश और उपलब्धि का महत्व इतिहा

Reality of hunger(भूख की वास्तविकता)By Neeraj kumar

  भूख की वास्तविकता वास्तविकता भूख एक ऐसा एहसास है जो किसी भी इन्सान को तोड़ के रख देती है दुनिया में ऐसा कोई इन्सान या जीव जन्तु नहीं है जिसको भूख ना लगती हो बिना भूखे रह कर कोई भी इन्सान कोई काम नहीं कर सकता| पृथ्वी पर जब से इंसानों या जीव जन्तु की उत्पत्ति हुई है तब से इन्सान को भूख लगना लाजमी है यदि कोई ऐसा इन्सान मिलता है जिसको भूख ना लगती हो| वो इस दुनिया में किसी देवीय शक्ति से कृपालु हो सकता है लेकिन ऐसा इन्सान बहुत ही कम देखने को मिलते है| भूख पर विचार    भूख वो एहसास है जिसको इन्सान जन्म से लेकर मृत्यु तक महसूस कर सकता है बिना भूखे रहे कोई भी इन्सान अपना जीवन व्यतीत नहीं कर सकता| इन्सान को अपने लिए दिन में  कम से कम दो समय के भोजन का इंतजाम करना ही होता है| दुनिया के बहुत से देश ऐसे है जहाँ लोगो को भुखमरी का सामना करना पड़ता है और भूख से लोगो की मौत तक हो जाती है और ये आकड़ा दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है जबकि कई देशो में भूख से तडपते लोगो को देखा गया है दुनिया के बहुत से गरीब देश है जहाँ भूखे रहने से वहां के जन्मे बच्चो को कुपोषण का शिकार तक हो जाते है| भूख इन्सान को कार्

Reality of marriage(विवाह की वास्तविकता)By Neeraj kumar

  विवाह की वास्तविकता वास्तविकता   विवाह वह सामाजिक प्रथा है जिसमे स्त्री और पुरुष के बीच अपने परिवार को बनाने के लिए पति पत्नी के सम्बन्ध का निर्माण किया जाता है विवाह  सामाजिक व धार्मिक मान्यता के आधार पर करते है कहते है विवाह के बिना व्यक्ति का जीवन अधुरा माना जाता है जब कोई स्त्री और पुरुष मिलकर अपना परिवार बनाने के लिए विवाह करते है इसमें पुरुष और स्त्री का विवाह सामाजिक रीती रिवाजो से होता है वह अग्नि के सामने फेरे लेकर एक दुसरे के सुख दुःख में साथ निभाने वह जीवन भर एक दुसरे को अपना जीवन समर्पित कर विवाह करते है विवाह का  विचार    युगों से विवाह को बड़ा पवित्र रिश्ता माना गया है विवाह कोई नई मान्यता नहीं है बल्कि भगवानो ने भी विवाह कर इस लोक में रहने वाले लोगो को सन्देश दिया था जबकि उस समय विवाह के लिए पुरुष को कुछ शर्ते पूरी करनी पड़ती थी तब जाके उसको स्त्री से विवाह करने की अनुमति मिलती थी जैसे त्रेता युग में पराम् पूज्य भगवान श्री राम जी ने धनुष पर प्रतान्ज्या चढाने की शर्त को पूरा करते हुए | राजा जनक की पुत्री माता सीता से विवाह किया था इसमें सबसे पुराने हिन्दू धर्म म

Reality of Football (फुटबॉल की वास्तविकता)By Neeraj kumar

  फुटबॉल की वास्तविकता वास्तविकता   यदि दुनिया में बात , खेल की करे तो हम फुटबॉल की बात कर सकते है | फुटबॉल के लिए लोगो का जुनून इतना रहता है की वो फुटबॉल के लिए समय निकल ही लेते है और गेंद के साथ खेलने या करतब करने लग जाते है | एक ऐसा खेल जिसमे गेंद को पैर से ही ठोकर मार कर गोल करना पढता है या पैर से ही करतब दिखाना पढता है| फुटबॉल का विचार  फुटबॉल खेल की शुरुआत करीब 18वी शताब्दी में हुई थी| यह खेल घर के बाहर का खेल है| यह खेल एक गेंद से खेला जाता है, इसको मैदान में ही खेला जा सकता है| इस खेल में दो टीम होती है, जिसमे 11-11 खिलाडी आमने सामने होते है| जिससे वो अपनी टीम के लिए जीत हासिल करते है, उन खिलाडियों के पास वो जुनून होता है| वह एक दुसरे से गेंद छिनते है और गोल करते, जिससे उनको जीत मिलती है| बिना थके बिना रुके गोल करने की चाहत होती है|     फुटबॉल खेल में खिलाडी अपने पैर से गेंद को ठोकर मार कर गोल करने की कोशिश करते है| इस खेल में सिर्फ गेंद को हाथो से नहीं पकड़ते और अपने सर और छाती का भी प्रयोग करते है| वैसे तो आपस में कितने ही खिलाडी ये खेल सकते है, लेकिन मैदान में दोनो

Reality of truth and lies(सच और झूठ की वास्तविकता) By Neeraj Kumar

  सच और झूठ की वास्तविकता वास्तविकता सच और झूठ ये वो दो रास्ते है जिनका चयन स्वयं उस इन्सान को करना होता है जिसके सामने ये रास्ते हो| वो चाहे तो सच का साथ दे सकता है और यदि वो चाहे तो झूठ का साथ दे सकता है| सच जितना कडवा लगता है झूठ उतना ही मीठा लगता है सच का रास्ता उलझनों से भरा मिलता है झूठ का रास्ता समतल तो होता है लेकिन उसकी कोई मंजिल नही होती|  सच और झूठ पर विचार   कहते है सच कड़वा जरुर होता है लेकिन उसकी मिठास महसूस होती रहती है| और झूठ जितना मीठा लगता है उसकी कडवाहट उतनी तेजी से अपना असर दिखाने लगती है जब कभी सच और झूठ का सामना होता है तो हमेशा सच को ही जीत हासिल होती है क्योकि झूठ की मिठास सच के आगे अपना वजूद खो बैठती है|  सच और झूठ का महत्व    1.       सच की नीव इतनी मजबूत होती है की जो कभी बने हुए घरोंधे को नुकसान नहीं पहुचाती| कभी कभी हमें सच बोलने पर दुसरो की नफरतो का सामना भी करना पड़ जाता है सच की रौशनी इंतनी तेज होती है की वो अंधकार का नाश कर देती है   सच को कितना भी दबाने की कोशिश की जाये सच को कभी नहीं दबाया जा सकता| हर इन्सान के जीवन में सच उतना ही महत्त्व र

Reality of change(बदलाव की वास्तविकता)By Neeraj kumar

                           बदलाव की वास्तविकता वास्तविकता बदलाव ही जिन्दगी का दूसरा नाम है यदि कोई सोचे की में अपने जीवन में बिना बदलाव के रह सकता हु तो ऐसा नामुमकिन ही लगता है हर इन्सान को कभी ना कभी बदलाव करना ही पड़ता है चाहे बदलाव जीवन में हो या दूसरी वस्तुओ में बदलाव होता जरुर है|बदलाव  हमारे जीवन में लगातार होना चाहिए इससे हमें नये नये विषय वस्तुओं के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने को मिलती है।     बदलाव पर विचार कहते है बदलाव ही बेहतरी का दूसरा नाम है बदलाव हर इन्सान के जीवन में होता है जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन में बदलाव होता रहता है चाहे बदलाव अच्छे के लिए हुआ हो या बदलाव बुरे के लिए हुआ हो|यानि बदलाव जरुर होता है जैसे एक इन्सान के जीवन में उसकी उम्र के सालो से उसके शारीरिक रूप में बदलाव होता है वो कैसे एक बच्चे से आदमी और आदमी से एक बूढ़े तक का सफ़र और बूढ़े से जीवन के अंत तक का सफर बदलाव के कारण ही करता है| हमें हमेशा उन चीजो में बदलाव करते रहना चाहिए| जिनमे हम एक ठहराव या स्थिरता महसूस करते हो| इसीलिए प्रकृति भी वातावरण में समय अनुसार बदलाव करती रहती है| बदलाव क