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Showing posts from January, 2021

Reality of Addressing and Sensation(संबोधन और संवेदना की वास्तविकता) By Neeraj Kumar

  संबोधन और संवेदना की वास्तविकता इन्सान संबोधन से संवेदना के कार्य को कर सकता है| संबोधन एक ऐसा कार्य होता है| जिसमे एक इन्सान कई दुसरे इंसानों को संबोधित करता है या कोई बात बताने की कोशिश करता है, जो कभी दुसरे इंसानों ने उसके बारे में सुना नहीं हो| संबोधन में कभी कभी इन्सान अपनी संवेदना भी व्यक्त कर देता है| संबोधन वैसे तो कई दुसरे कार्यो के लिए भी किया जाता है, जिसमे कोई इन्सान अपने या कई दुसरे इंसानों को कोई बात बताता है| संबोधन बहुत से कार्यो के लिए किया जाता है| समाज कल्याण के कार्यो के लिए एक ऐसे मंच का उपयोग किया गया हो या किया जाता है| जो किसी पद या प्रतिष्ठा से जुडा हो| लेकिन कभी-कभी संबोधन के लिए इन्सान को कई तरह के मंच पर उतरना पड़ता है| संबोधन भी कई तरह के विषय का होता है, जिसके लिए संबोधन जरुरी बन जाता है| संवेदना एक ऐसा कार्य होता है जिसमे कोई इन्सान किसी दुसरे इन्सान को अपनी भावना व्यक्त करता है| जिसमे अधिकतर इन्सान किसी दुसरे इन्सान के दुःख दर्द के लिए अपनी सहानुभूति संवेदना के जरिये व्यक्त करते है| संवेदना देना भी इन्सान के उस संस्कार को दर्शा देता है| जो उसने

Reality of friend and enemy(दोस्त और दुश्मन की वास्तविकता)By Neeraj kumar

  दोस्त और दुश्मन की वास्तविकता वास्तविकता     कहते है दुनिया में ना कोई दोस्त बनकर आता है और ना कोई दुश्मन बनकर आता है इन्सान का व्यवहार ही दुसरो को हमारा दोस्त भी बनाता है और दुश्मन भी बनाता है दोस्त की बात करे तो हर इन्सान का कोई ना कोई दोस्त जरुर होता है चाहे वो दोस्त अच्छा हो या बुरा हो वो दोस्त ही कहलाता है दोस्ती के कर्तव्य को वही दोस्त निभाता है जो दोस्ती को अपने स्वार्थ से ज्यादा महत्व देता हो| दोस्ती के उदाहरण को समझने के लिए हम दुआप्र   युग में   भगवान् श्री कृष्ण और सुधामा जी की दोस्ती को बताकर कर सकते है ये दोस्ती एक ऐसी दोस्ती थी जिसमे कोई भेदभाव नहीं था जो युगों युगों तक याद की जाएगी| हम उनकी दोस्ती से सीख सकते है की दोस्त हमारे लिए कितना महत्व रखते है| वही दुश्मन की बात की जाए तो जन्म से कोई किसी का दुश्मन नहीं होता सिर्फ और सिर्फ अपना या उसका व्यवहार ही दुश्मनी के लिए जिम्मेदार होता है| दोस्त और दुश्मन का विचार       दोस्त तब बनते है जब एक दुसरे के आपस में विचार मिल जाते है और उन विचारो को लेकर एक दुसरे का व्यवहार आपस में अच्छा होता है तो दोस्त बनने की सम्भा

Reality of family and upbringing(परिवार और परवरिश की वास्तविकता) By Neeraj kumar

  परिवार और परवरिश की वास्तविकता वास्तविकता     इन्सान की परवरिश में उसके परिवार का बहुत महत्व होता है परिवार एक ऐसी संस्था को कह सकते है जिसमे इन्सान को सभी तरह के रिश्तो के बारे में पता चलता है परिवार में   कितने ही सदस्य क्यों ना हो, अच्छे हो या बुरे हो| पढ़े लिखे हो या अनपढ़ हो|अमीर हो या गरीब हो| लेकिन सबका प्यार आपस में इतना होता है की जैसे हाथ की उंगलिया| आपस में मिलकर मुट्ठी बन जाती है। परिवार से इन्सान बहुत कुछ सीखता है जो जीवन में उसके बहुत काम आती है इन्सान को जीवन में सबसे पहली सीख देने वाला उसका परिवार ही होता है| जो उसको ये समझाता है| परिवार ही परवरिश के दौरान अच्छे बुरे सही गलत की पहचान करवाता है परिवार की योग्यता और संस्कार किस तरह के है ये इंसान की परवरिश  में झलकते है की उसको किस तरह के संस्कार मिल रहे है|     परिवार और परवरिश का विचार यदि परिवार और परवरिश की बात करे तो परिवार में रिश्तो की अहमियत को समझना बहुत जरुरी है इसके लिए सनातन हिन्दू परिवार की तरफ गौर करना होगा| जिसमे रिश्तो का निभाव जन्म से लेकर मृत्यु तक देखा जा सकता है हर सदस्य की अपनी एक अहमियत है|

Reality of scriptures and weapons(शास्त्र और शस्त्र की वास्तविकता) BY Neeraj kumar

  शास्त्र  और शस्त्र   की वास्तविकता वास्तविकता शास्त्र ज्ञान और शस्त्र रक्षा के लिए प्रयोग में लाते है शस्त्र कई प्रकार के हथियारो को कह सकते है| जिसको कई तरह से इस्लेमाल किया जाता है| शस्त्र भी कई तरह के होते है| जो अलग अलग तरीको से बनाये जाते है उनके इस्तेमाल का तरीका भी अलग अलग होता है| वही शास्त्रों को जानना उनको समझना उनके रास्तो पर चलना वही इन्सान करता है जिसने अच्छे से शास्त्रों को पढ़ा हो या समझा हो| शास्त्रों का ज्ञान ही इन्सान को सही दिशा दिखता है जिस पर चलकर इन्सान अपने कर्मो के द्वारा अच्छा जीवन व्यतीत कर सकता है| शास्त्र किसी भी विशिष्ट विषय या वस्तु का सम्बंधित ज्ञान जो ठीक प्रकार से संग्रह करके रखा गया हो| वो शास्त्र कहलाता है जैसे ज्योतिष शास्त्र ,शिल्प शास्त्र ,अर्थशास्त्र और भी बहुत से शास्त्र है जिसको पढ़ा या समझा जा सकता है| शास्त्र और शस्त्र का विचार इन्सान को शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करना है तो उसको समझना होगा की किस शास्त्र में किस तरह का ज्ञान मिल सकता है और यदि इन्सान को शस्त्र के बारे में जानना है तो उसको इतिहास को देखना होगा की कब किस शस्त्र का इस्त

Reality of heart and mind(दिल और दिमाग की वास्तविकता ) By Neeraj kumar

दिल और दिमाग की वास्तविकता  वास्तविकता इन्सान के सीने में लगातार धडकने वाला दिल जो कभी नहीं रुकता और इन्सान के मस्तिष्क  में सोचने वाला दिमाग जो लगातार कुछ ना कुछ सोचता रहता है| दिल और दिमाग को इन्सान की सबसे बड़ी ताकत समझा जाता है और सबसे बड़ी कमजोरी भी समझा जाता है| जब इन्सान अपने कार्यो में दिल और दिमाग दोनों लगा लेता है तो उसको कामियाब होने से कोई नहीं रोक सकता| कहते है कार्यो में दिल लगाकर काम करना और दिमाग लगाकर कार्यो के लिये सोचना ही उसकी कामियाबी का रास्ता होता है| दिल को एक इन्सान से दुसरे इन्सान के शरीर में बदल सकते है तो दिमाग को अभी तक ऐसे बदलने की कोई पद्धति सामने नहीं आई है| कहते है दिल और दिमाग के लिए बने हजारो मुहावरे भी है जिनको अक्सर इन्सान अपनी बातो में इनका इस्तेमाल करता रहता है|        दिल और दिमाग का विचार इन्सान के जन्म के साथ ही उसका दिल और दिमाग दोनों ही कार्य करने लग जाते है यदि दोनों में से किसी में भी कार्य करना कम या छोड़ दिया होता है तो इन्सान के जीवन के लिए हानिकारक हो जाता है इन्सान के जीवन में दिल और दिमाग दोनों का ही संतुलन स्वस्थ शरीर के लि

Reality of personality and behavior(व्यक्तित्व और व्यवहार की वास्तविकता) By Neeraj kumar

  व्यक्तित्व और व्यवहार की वास्तविकता वास्तविकता दुनिया में हर इन्सान का व्यक्तित्व अलग है और उसके व्यवहार करने का तरीका भी अलग   है व्यवहार से ही इन्सान के सही व्यक्तित्व की पहचान होती है की उसका व्यक्तित्व कितना प्रभावशाली है या प्रभावहीन है|   इन्सान के व्यक्तित्व से उसके व्यवहार की जानकारी नहीं मिल सकती| लेकिन इन्सान के व्यवहार से उसका व्यक्तित्व जरुर अच्छा और बुरा बन सकता है| जो दुसरे इंसानों पर इसका प्रभाव डालता है | दुनिया में हर इन्सान ने अपने तरीके से अपने व्यक्तित्व की पहचान बनाई हुई है| और उस पहचान के पीछे उनका व्यवहार छिपा होता है| जो दुसरे इंसानों को सोचने पर मजबूर कर देता है|   व्यक्तित्व और व्यवहार का विचार   इन्सान के व्यक्तित्व और व्यवहार का विचार करे तो यह स्वयं इन्सान के हाथो में होता है की वो दुसरो के साथ किस तरह का व्यवहार कर रहा है और अपने व्यक्तित्व की पहचान बना रहा है इन्सान का व्यक्तित्व दिखने में कैसा ही क्यों ना लगे| लेकिन व्यवहार हमेशा उसके विचारो को दर्शाता है उसने किस इन्सान से किस तरह का व्यवहार किया| ये उसका व्यवहार ही दर्शाता है यदि इन्सान

Reality of Influence and inspiration ( प्रभाव और प्रेरणा की वास्तविकता ) By Neeraj kumar

  प्रभाव और प्रेरणा की वास्तविकता  वास्तविकता कहते है प्रभाव ऐसा हो जो सब पर असर कर जाये| और प्रेरणा ऐसी मिले जिससे जीवन बदल जाये| इन्सान के दैनिक कार्यो में कभी कभी उसके जीवन पर किसी दुसरे का प्रभाव ऐसा पड़ता है जिसको वो जीवन भर नहीं भुला पाता| उस प्रभाव का असर जीवन के लिए कब प्रेरणा बन जाये जिससे उसका जीवन बदल जाता है| और वो जीवन में उस प्रेरणा के साथ अपने लक्ष्य तक पहुच जाता है| प्रभाव से मिली प्रेरणा का जीवन में किस तरह का असर होता है इसको प्रभाव और प्रेरणा के महत्व से समझेगे|प्रभाव होता भी है और प्रभाव नही भी होता। जो प्रेरणा के लिए महत्वपूर्ण होता है   प्रभाव और प्रेरणा का विचार जब कोई इन्सान किसी भी तरह का कोई भी कार्य करना पसंद करता है या वो किसी को कार्य करता हुआ देखता है| जिसका प्रभाव हो| प्रभाव अच्छे कार्यो के लिए ग्रहण किया गया था या बुरे कार्यो के लिए ग्रहण किया गया था| वो इन्सान उन प्रभावों को अपने जीवन में किस तरह से लेता है जिसको वो अपने जीवन में एक प्रेरणा के रूप में ग्रहण करता है|   जीवन में प्रभाव किसका था| या है और किस पर हमारा प्रभाव था या है ये वही इन्सा