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Reality of Addressing and Sensation(संबोधन और संवेदना की वास्तविकता) By Neeraj Kumar

  संबोधन और संवेदना की वास्तविकता इन्सान संबोधन से संवेदना के कार्य को कर सकता है| संबोधन एक ऐसा कार्य होता है| जिसमे एक इन्सान कई दुसरे इंसानों को संबोधित करता है या कोई बात बताने की कोशिश करता है, जो कभी दुसरे इंसानों ने उसके बारे में सुना नहीं हो| संबोधन में कभी कभी इन्सान अपनी संवेदना भी व्यक्त कर देता है| संबोधन वैसे तो कई दुसरे कार्यो के लिए भी किया जाता है, जिसमे कोई इन्सान अपने या कई दुसरे इंसानों को कोई बात बताता है| संबोधन बहुत से कार्यो के लिए किया जाता है| समाज कल्याण के कार्यो के लिए एक ऐसे मंच का उपयोग किया गया हो या किया जाता है| जो किसी पद या प्रतिष्ठा से जुडा हो| लेकिन कभी-कभी संबोधन के लिए इन्सान को कई तरह के मंच पर उतरना पड़ता है| संबोधन भी कई तरह के विषय का होता है, जिसके लिए संबोधन जरुरी बन जाता है| संवेदना एक ऐसा कार्य होता है जिसमे कोई इन्सान किसी दुसरे इन्सान को अपनी भावना व्यक्त करता है| जिसमे अधिकतर इन्सान किसी दुसरे इन्सान के दुःख दर्द के लिए अपनी सहानुभूति संवेदना के जरिये व्यक्त करते है| संवेदना देना भी इन्सान के उस संस्कार को दर्शा देता है| जो उसने

Reality of man and father(पुरुष और पिता की वास्तविकता )By Neeraj kumar

पुरुष और पिता की वास्तविकता 
पुरुष एक पिता है पुरुष वो इन्सान है जो दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में है पुरुष एक ऐसा इन्सान जिसके बिना दुनिया अधूरी समझी जाती है पुरुष समाज का वो चेहरा होता है जिसको सबसे ज्यादा अहमियत मिलती आई है इस सृष्टि की संरचना में दो ही प्राणियों की उत्पप्ति हुई एक स्त्री और एक पुरुष है पुरुष स्त्री से ज्यादा बलशाली होता है| जो अपने शारीरिक कद काठी और रंग रूप की तरह स्त्री से बिकुल अलग होता है पुरुष स्त्री से ज्यादा बलवान सिद्ध हुआ है| पुरुष ही समाज में एक पिता की भूमिका में अपने फर्ज को निभाता है| पिता घर परिवार का वो सदस्य होता है जिसपर अपने परिवार की जिम्मेदारी होती है जो अपने घर परिवार के लिए हमेशा से संधर्षपूर्ण रहता है पिता की भूमिका में एक पुरुष हर युग में अपनी भूमिका अच्छी तरह निभाता आया है पिता अपने उन रिश्तो को हमेशा से अहमियत देता आया है जो उसको एक पिता की संज्ञा से परिपूर्ण करते है| जैसे एक बेटा या बेटी |

पुरुष और पिता का विचार 
पुरुष ही एक ऐसा प्राणी है जिसके पास स्त्री के मुकाबले ज्यादा बल देखने को मिलता है| संसार में ना जाने कितने पुरुषो ने जन्म लिया और आज भी पुरुषो की संख्या स्त्रियों से कई ज्यादा है| घर हो या समाज हो या फिर दुनिया ही क्यों ना हो पुरुष ही कार्यो को करने में ज्यादा इच्छा शक्ति रखता है| वही पिता की बात की जाये तो पिता बनने के लिए एक पुरुष को किसी स्त्री के साथ विवाह के बाद जन्मे बच्चे के पिता की संज्ञा मिलती है पिता को परिवार के मुख्या के साथ साथ सबसे महत्वपूर्ण इन्सान समझा जाता है पिता के कंधे पर अपने परिवार के हर सदस्य की जिम्मेदारी समझी जाती है पिता समाज में अपने जीवन के साथ साथ अपने परिवार की रक्षा उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी को बड़ी बखूबी से निभाता आया है| पिता अपनी उम्र के हर किरदार में कभी भी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकता| पिता को परिवार की नीव समझा जाता है| पिता ही अपने परिवार में परवरिश के दौरान अपने बच्चो में सस्कृति से जुड़े संस्कारो को बढाता है| 

पुरुष और पिता का महत्व  
दुनिया में पुरुष का महत्व भी उतना ही समझा जाता है जितना किसी स्त्री का महत्व समझा जाता है| जन्म से ही एक बच्चे को लिंग के आधार पर पुरुष का नाम दिया जाता है| पुरुष पिता की भूमिका तो निभाता ही है साथ साथ उम्र की हर उस भूमिका को निभाने की कोशिश करता है| जिसमे उसको एक बेटे का नाम मिलता है एक भाई का नाम मिलता है एक पिता और कई तरह के रिश्तो के नाम मिलते रहते है| पुरुष परिवार, समाज और देश के लिए अलग अलग कर्तव्यो से बंधा होता है| पुरुष ही वो इन्सान हुआ जिसने सबसे पहले अपनी सोच को विकसित किया और समाज में बदलाव करने का प्रयास किया और आज भी कई तरह से पुरुष अपने अपने स्तर पर अपने समाज में एक बदलाव और प्रगति को विकसित करने के लिए कार्य कर रहा है| 

घर परिवार में एक पिता का महत्व भी उतना ही होता है जितना किसी परिवार में माँ की भूमिका में एक स्त्री का | पिता परिवार का वो स्तम्भ होता है| जो अपने घर परिवार को मजबूती से खड़ा रखता है| यदि पिता को कुछ होता है तो उस घर के टूटने या बिखरने की सम्भावना बढ़ जाती है| पिता की भूमिका में एक पुरुष हमेशा से अपने परिवार को आगे बढाने के लिए हर संभव कोशिश करता है| हम अपने अपने परिवार से ही पिता के महत्व को समझ सकते है| बच्चो के लिए पिता किसी परमेस्वर से कम नहीं होता| पिता ही अपने बच्चो को परवरिश में अच्छे बुरे सही गलत का रास्ता बताता है| पिता की सिखाई गई| सिख इन्सान हमेशा अपने जीवन में बनाकर रखता है| हर पिता का अनुभव हमेशा उसके बच्चो के भविष्य के लिए सीढ़ी का काम करता है| पिता का स्वभाव कठोरता का जरुर मिलता है लेकिन पिता के हर्दय जैसा स्वभाव किसी के पास नहीं मिलता| पिता के ही संस्कारो का ज्ञान होता है जो उनको भी उनके पिता से प्राप्त हुए| और पिता ही पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी संस्कृति को अपने संस्कारो को सिखाने का काम करता है पिता का महत्व और ज्यादा तब बढ़ जाता है जब इन्सान अपने जीवन में एक पिता की भूमिका को निभाता है| और उसके दिए गए नाम और पहचान से समाज में जाना जाता है| पिता बनना एक इन्सान के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी और ख़ुशी महसूस करवाता है पिता अपनी संतान के लिए कई तरह के त्याग और संघर्ष से होकर गुजरता है| ताकि उसकी संतान हंसी ख़ुशी अपना जीवन व्यतीत कर सके| 

पुरुष और पिता दोनों की वास्तविता एक दुसरे से पूरी तरह जुडी होती है पुरुष ही एक पिता का रिश्ता निभाता है जो एक दुसरे इन्सान को इस धरती पर जन्म देने के लिए उपयोगी माना गया है| दुनिया में लगभग अधिकतर पुरुषो को पिता बनने का सोभाग्य प्राप्त हुआ और होता है| पिता का किरदार पुरुष के जीवन में एक बढे बदलाव को दर्शाता है|

निष्कर्ष 
देश दुनिया समाज परिवार में एक पुरुष और पिता का जरुर होना चाहिय| पुरुष और पिता ही उन कार्यो को सही तरह से सिद्ध कर सकता है जो एक स्त्री और माँ नहीं कर सकती| इस लिए हर उस इन्सान के जीवन में एक पिता के महत्व को समझना चाहिए| जिसने उसको जीवन दिया| किसी पुरुष और पिता का महत्व उस इन्सान के स्वयं के जीवन से भी ज्यादा समझना चाहिए|
Reality of man and father
A man is a father, a man is the person who is the largest in the world. Man is such a person without whom the world is considered incomplete. Man is the face of society, which has got the most importance, in the structure of this creation, there are only two creatures. There is born a woman and a man. Man is stronger than woman. The man who is completely different from the woman like his physical stature and complexion, the man has proved to be stronger than the woman. Only man fulfills his duty in the role of a father in the society. Father is the member of the family who has the responsibility of his family, who is always struggling for his family, a man in the role of father has been playing his role well in every era, father always gives importance to those relationships. He has been given, which fills him with the name of a father. like a son or daughter.

Thoughts of man and father 
Man is the only creature who has more power than a woman. How many men were born in the world and even today the number of men is more than women. Whether it is home or society or even the world, only man has more will power to do the work. Talking about the same father, to become a father, a man gets the name of the father of a child born after a marriage with a woman. The father is considered the head of the family as well as the most important person on the shoulder of his family. The responsibility of every member is understood, the father has been playing the responsibility of protecting his family, his upbringing, along with his life in the society. Father can never shy away from responsibilities in every character of his age. Father is considered to be the foundation of the family. During the upbringing in his family, it is the father who inculcates the culture-related values in his children. 
 
Importance of man and father 
The importance of a man in the world is also understood as much as the importance of a woman. From birth a child is given a male name on the basis of gender. The man not only plays the role of father but also tries to play that role of every age. In which he gets the name of a son, the name of a brother gets the name of a father and many types of relationships keep getting. Men are bound by different duties for family, society and country. The man was the person who first developed his thinking and tried to change the society and even today in many ways men are working at their own level to develop a change and progress in their society. The importance of a father in a family is as much as that of a woman in the role of mother in a family. Father is the pillar of the family. One who keeps his family firmly standing. If something happens to the father, then the possibility of breaking or disintegrating that house increases. A man in the role of father always makes every effort to take forward his family. We can understand the importance of father from our own family. For children the father is no less than a god. It is the father who shows the path of good and bad right and wrong in the upbringing of his children. Father's Taught Sikh man always keeps in his life. Every father's experience always acts as a stair  for his children's future. The nature of the father is of hardness, but no one gets the nature of the heart of the father. It is the knowledge of the rites of the father, which he also received from his father. And the father works to teach his culture from generation to generation, the importance of father increases even more when a person plays the role of a father in his life. and is known in the society by his given name and identity. Becoming a father makes a person feel a lot of responsibility and happiness, a father goes through many sacrifices and struggles for his children. So that his children can live their life happily.
 
The reality of both man and father is completely related to each other, man plays the relationship of a father, which is considered useful for giving birth to each other human being on this earth. Almost most of the men in the world have got the fortune of becoming a father. The character of the father represents a major change in the life of a man. 

Conclusion 
Country and world society There must be a man and a father in the family. Only a man and a father can properly accomplish those tasks which a woman and a mother cannot do. Therefore, the importance of a father should be understood in the life of every person. who gave him life. The importance of a man and a father should be understood more than that person's own life.

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