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Reality of Addressing and Sensation(संबोधन और संवेदना की वास्तविकता) By Neeraj Kumar

  संबोधन और संवेदना की वास्तविकता इन्सान संबोधन से संवेदना के कार्य को कर सकता है| संबोधन एक ऐसा कार्य होता है| जिसमे एक इन्सान कई दुसरे इंसानों को संबोधित करता है या कोई बात बताने की कोशिश करता है, जो कभी दुसरे इंसानों ने उसके बारे में सुना नहीं हो| संबोधन में कभी कभी इन्सान अपनी संवेदना भी व्यक्त कर देता है| संबोधन वैसे तो कई दुसरे कार्यो के लिए भी किया जाता है, जिसमे कोई इन्सान अपने या कई दुसरे इंसानों को कोई बात बताता है| संबोधन बहुत से कार्यो के लिए किया जाता है| समाज कल्याण के कार्यो के लिए एक ऐसे मंच का उपयोग किया गया हो या किया जाता है| जो किसी पद या प्रतिष्ठा से जुडा हो| लेकिन कभी-कभी संबोधन के लिए इन्सान को कई तरह के मंच पर उतरना पड़ता है| संबोधन भी कई तरह के विषय का होता है, जिसके लिए संबोधन जरुरी बन जाता है| संवेदना एक ऐसा कार्य होता है जिसमे कोई इन्सान किसी दुसरे इन्सान को अपनी भावना व्यक्त करता है| जिसमे अधिकतर इन्सान किसी दुसरे इन्सान के दुःख दर्द के लिए अपनी सहानुभूति संवेदना के जरिये व्यक्त करते है| संवेदना देना भी इन्सान के उस संस्कार को दर्शा देता है| जो उसने

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Reality of Addressing and Sensation(संबोधन और संवेदना की वास्तविकता) By Neeraj Kumar

  संबोधन और संवेदना की वास्तविकता इन्सान संबोधन से संवेदना के कार्य को कर सकता है| संबोधन एक ऐसा कार्य होता है| जिसमे एक इन्सान कई दुसरे इंसानों को संबोधित करता है या कोई बात बताने की कोशिश करता है, जो कभी दुसरे इंसानों ने उसके बारे में सुना नहीं हो| संबोधन में कभी कभी इन्सान अपनी संवेदना भी व्यक्त कर देता है| संबोधन वैसे तो कई दुसरे कार्यो के लिए भी किया जाता है, जिसमे कोई इन्सान अपने या कई दुसरे इंसानों को कोई बात बताता है| संबोधन बहुत से कार्यो के लिए किया जाता है| समाज कल्याण के कार्यो के लिए एक ऐसे मंच का उपयोग किया गया हो या किया जाता है| जो किसी पद या प्रतिष्ठा से जुडा हो| लेकिन कभी-कभी संबोधन के लिए इन्सान को कई तरह के मंच पर उतरना पड़ता है| संबोधन भी कई तरह के विषय का होता है, जिसके लिए संबोधन जरुरी बन जाता है| संवेदना एक ऐसा कार्य होता है जिसमे कोई इन्सान किसी दुसरे इन्सान को अपनी भावना व्यक्त करता है| जिसमे अधिकतर इन्सान किसी दुसरे इन्सान के दुःख दर्द के लिए अपनी सहानुभूति संवेदना के जरिये व्यक्त करते है| संवेदना देना भी इन्सान के उस संस्कार को दर्शा देता है| जो उसने

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  हिन्दू और हिंदुस्तान की वास्तविकता हिन्दू  धर्म एक ऐसा धर्म जो दुनिया में सबसे पहले हुआ | जिसका इतिहास करीब 10 हजार साल से भी पुराना मिलता है| जिसके प्रमाण अभी भी कही ना कही मिल जाते है| जो सत युग से त्रेता युग से द्वापर युग से कलयुग तक पहुच सका है| हर युग में हिन्दू धर्म के महत्व को समझाया गया है| हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जो दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश माना जाता है| जिसको समुन्द्र ने तीनो और से घेर रखा है| हिंदुस्तान वो देश है| जहाँ स्वयं देवी देवताओ का वास है| जो स्वयं हिन्दू धर्म के लिए सही साबित होते है| हिमालय से कन्याकुमारी तक ना जाने कितने तीर्थ स्थल है| जो हिन्दुओ की आस्था के प्रतीक माने जाते है हिन्दू और हिंदुस्तान दोनों की वास्तविकता एक दुसरे से पूरी तरह जुडी हुई है| हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जिसमे हर राज्य की अपनी एक भाषा होते हुए भी अपने आप में एकता का प्रतीक है| हिंदुस्तान की कोई मात्र भाषा नहीं है| सिर्फ हिंदुस्तान की राज भाषा है |  हिंदी जो सविधान लागू होने के बाद से मानी जाती है| हिंदुस्तान पर प्रचीन काल से ही दुसरे देशो की नजर बनी रही और आज भी पडोसी देशो की न